चिंता

 ताकत की जरूरत तभी होती है. 

जब कुछ बुरा करना हो. वरना दुनिया में

सब कुछ पाने के लिए प्रेम ही काफी है.

सारे जगत को देने वाले मैं क्या तुझको

भेंट चढ़ाऊं ,

जिसके नाम से आए खुशबू

मैं क्या उसको फूल चढ़ाऊं !!

वो तैरते तैरते डूब गए,

जिन्हें खुद पर गुमान था.

और वो डूबते डूबते भी तर गए...

जिन पर तू मेहरवान था.

चिंता ने चिता से मुस्कुराते हुए कहा

तू मुरदों को जलाती है

मैं जिंदों को जलाती हूं

तू विदा कर देती है

मैं जकङ लेती हूं

तू मृत्यु से जुडी़ है

मैं जिंदगी से जुडी़ हूं

तू अंतिम सत्य है

मैं प्रथम सत्य हूं

जिंदगी में हम कितने सही 

और कितने गलत है ं,

ये सिर्फ दो ही शक्स जानते हैं 

परमात्मा

और

अंतर आत्मा 

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